दिनांक : 2025-07-10 20:35:00
- पीसीएस वैभव गुप्ता की मेहनत से कोटद्वार बना स्वच्छता का उदाहरण, नगर निगम की ठोस पहल से हटा 31 हजार मीट्रिक टन कूड़ा, बना “वेस्ट टू आर्ट” पार्क
कोटद्वार : शहर को स्वच्छ बनाने में पीसीएस वैभव गुप्ता की कड़ी मेहनत रंग लाई हैं । नगर निगम कोटद्वार ने स्वच्छता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। पीसीएस अधिकारी एवं नगर आयुक्त वैभव गुप्ता की दूरदर्शिता और मेहनत से शहर की सूरत ही बदल गई है। वर्षों से जमा 31 हजार मीट्रिक टन कूड़े को हटाकर जहां शहर को साफ-सुथरा बनाया गया, वहीं उसी कचरे से एक शानदार ‘वेस्ट टू आर्ट पार्क’ भी तैयार किया गया है।
कूड़ा प्रबंधन, न केवल स्थानीय बल्कि वैश्विक स्तर पर एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसके अवैज्ञानिक प्रबंधन के कारण हर शहर में कूड़े के डंप साइट, मानव निर्मित पहाड़ों में तब्दील हो गए हैं, जिससे हमारे शहर प्रदूषित हो रहे हैं। इसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य और शहर की सुंदरता पर भी पड़ रहा है। इसी गंभीर समस्या को देखते हुए, भारत सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन 2.0 की शुरुआत की है, जिसका मुख्य उद्देश्य अपने गांव, शहर और देश को कचरा-मुक्त करना है। इसमें पुराने कूड़े के डंपसाइट्स के साथ-साथ प्रतिदिन उत्पादित कूड़े का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण किया जाना शामिल है।
कोटद्वार की चुनौती और समाधान
कोटद्वार में भी मुक्तिधाम के पास गाडीघाट में ऐसा ही एक विशाल डंपसाइट था, जहाँ हजारों टन कूड़ा पड़ा था। भूमि की अनुपलब्धता के कारण, प्रतिदिन का कूड़ा भी डंपसाइट के बाहर मुक्तिधाम के गेट के पास जमा हो रहा था। इससे आसपास के लोगों को और अंतिम संस्कार में आने वाले लोगों को गंदगी एवं बदबू से भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
इस कूड़े की समस्या को गंभीरता से लेते हुए, तत्कालीन नगर आयुक्त नगर निगम कोटद्वार पीसीएस गुप्ता ने आईआईटी के पर्यावरण इंजीनियरों एवं विशेषज्ञों की मदद से कोटद्वार को कचरा मुक्त करने की एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की और उस पर अमल किया।
पीसीएस वैभव गुप्ता का नेतृत्व और नगर निगम की दूरदर्शी योजना
इसी गंभीर समस्या को स्थायी रूप से खत्म करने का बीड़ा पीसीएस वैभव गुप्ता ने उठाया, जिन्होंने नगर निगम टीम के साथ मिलकर एक व्यापक और दूरदर्शी योजना तैयार की। उनका लक्ष्य सिर्फ कूड़ा हटाना नहीं, बल्कि उसे रचनात्मक तरीके से पुनर्चक्रित कर शहर के लिए एक स्थायी और उपयोगी संपत्ति बनाना था। नगर निगम ने इस दिशा में अत्याधुनिक मशीनों और वैज्ञानिक तरीकों का उपयोग कर ‘बायो-रेमेडिएशन’ प्रक्रिया अपनाई, जो कूड़े के ढेर को जैविक रूप से उपचारित कर उसे मिट्टी में बदल देती है। वैभव गुप्ता की नेतृत्व क्षमता का ही परिणाम हैं कि वर्षों से जमा 31 हजार मीट्रिक टन कूड़े को हटाकर जहां शहर को साफ-सुथरा बनाया गया। पीसीएस वैभव गुप्ता ने न केवल अभियान की निगरानी की, बल्कि हर स्तर पर व्यक्तिगत रुचि लेते हुए योजना को मूर्त रूप दिया।
31 हजार मीट्रिक टन कूड़े का सफल निस्तारण
अथक प्रयासों और दिन-रात की कड़ी मेहनत के बाद, पिछले कई वर्षों से जमा लगभग 31 हजार मीट्रिक टन कूड़े को सफलतापूर्वक निष्कासित किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में कूड़े को अलग-अलग करके, उसमें से उपयोगी तत्वों को निकालकर, और शेष को वैज्ञानिक विधि से निस्तारित किया गया। यह एक बड़ी चुनौती थी जिसे सुनियोजित और चरणबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया, जिससे पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़े बिना कार्य पूरा हुआ।
वैज्ञानिक अपशिष्ट प्रबंधन की पहल
कार्ययोजना के प्रथम चरण में कूड़े के प्रसंस्करण हेतु ट्रॉमेल मशीन स्थापित की गई। डंप साइट के कुछ हिस्सों पर पुराने कूड़े का निस्तारण कर सूखे कूड़े की छंटनी के लिए मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (MRF) का निर्माण किया गया। इस एमआरएफ प्लांट में सॉर्टिंग कन्वेयर, फटका, कॉम्पेक्टर और श्रेडर मशीनें लगाई गईं। एमआरएफ प्लांट के संचालन के लिए स्थानीय वेस्ट पिकर्स को पंजीकृत कर उन्हें पीपीई किट के साथ कार्य पर लगाया गया है। नगर निगम द्वारा प्रतिदिन लगभग 50 मीट्रिक टन कूड़े का निस्तारण एमआरएफ एवं विंडरोव्स कंपोस्टिंग तकनीक से किया जा रहा है। सूखे कूड़े की बिक्री से निगम को प्रतिमाह 1.0 लाख रुपये की आय भी प्राप्त हो रही है।
भूमि का कायाकल्प और ‘वेस्ट टू आर्ट’ पार्क
नगर निगम द्वारा लगभग 1.0 हेक्टेयर भूमि पर स्थित डंप साइट से कुल 31449 मीट्रिक टन पुराने कूड़े का निपटान किया गया है (प्रथम चरण में लगभग 26350 मीट्रिक टन और द्वितीय चरण में 5099 मीट्रिक टन)। इस reclaimed भूमि में से 0.9 हेक्टेयर पर विंडरोव्स कंपोस्टिंग एवं एमआरएफ प्लांट बनाया गया है, जबकि 0.1 हेक्टेयर भूमि को ‘वेस्ट टू आर्ट प्रदर्शनी पार्क’ में बदल दिया गया है। यह पार्क ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए बनाया गया है, जहाँ कूड़े के प्रकार, वेस्ट कलेक्शन व्हीकल, प्लास्टिक के प्रकार, कंपोस्टिंग मॉडल, इको बेंच, इको घड़ी, कंपोस्टिंग पिट मॉडल एवं ट्रॉमेल मशीन मॉडल जैसे विभिन्न मॉडल प्रदर्शित किए गए हैं।
डोर-टू-डोर कलेक्शन और निगरानी
शहर में कूड़ा संग्रह प्रणाली को भी मजबूती दी गई है। 2023 में नगर निगम द्वारा डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए वाहनों की संख्या 14 से बढाकर 34 कर दी गई है, जिससे अधिक से अधिक घरों तक यह सुविधा पहुंच रही है। सितंबर 2023 से नगर निगम कोटद्वार में एक स्वच्छता कंट्रोल रूम भी संचालित किया जा रहा है, जहाँ कॉल एवं व्हाट्सएप के माध्यम से स्वच्छता एवं स्ट्रीट लाइट से संबंधित शिकायतें दर्ज कर उनका निस्तारण किया जाता है। इसके साथ ही, कंट्रोल रूम से डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन वाहनों की जीपीएस के माध्यम से निगरानी भी की जा रही है। निगम द्वारा 25 जगहों पर सीसीटीवी कैमरों द्वारा कचरा संवेदनशील बिंदुओं (GVP) की निगरानी भी की जा रही है।
RRR सेंटर और जन जागरूकता अभियान
मालवीय उद्यान में एक ‘आरआरआर (रिड्यूस, रीयूज, रीसायकल) सेंटर’ भी बनाया गया है, जहाँ लोग अपनी उपयोगी वस्तुओं का मुफ्त में आदान-प्रदान कर सकते हैं। इस आर आर आर सेंटर के निर्माण में 1500 प्लास्टिक बोतलों के साथ 1.0 लाख से अधिक प्लास्टिक रैपर्स का उपयोग किया गया है, जो ‘वेस्ट टू वेल्थ’ का एक बेहतरीन उदाहरण है।
नगर निगम द्वारा जन जागरूकता बढ़ाने के लिए भी निरंतर प्रयास किए गये। विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध एवं पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, और अक्टूबर माह में ‘बेस्ट फ्रॉम वेस्ट’ तथा स्वच्छता स्लोगन प्रतियोगिता का भी सफल आयोजन किया गया, जिनमें नागरिकों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
पीसीएस वैभव गुप्ता की मेहनत से कोटद्वार नगर निगम का यह प्रयास निश्चित रूप से अन्य शहरों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है, जो यह दर्शाता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किसी भी बड़ी चुनौती का सामना किया जा सकता है और एक स्वच्छ एवं सुंदर शहर का निर्माण किया जा सकता है।